विराम चिन्ह किसे कहते हैं
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विराम चिन्ह किसे कहते हैं
हिंदी में विराम चिन्ह
विराम चिन्ह का शाब्दिक अर्थ है-'रुकना' अथवा 'ठहराव' केखन में भावाभिव्यक्ति की स्पष्टता के लिए विराम चिन्ह की आवश्यकता होती है। डाक्टर भोलेनाथ तिवारी के अनुसार - ''जो चिन्ह बोलते या पढ़ते समय रूकने का संकेत देते है, उन्हें विराम चिन्ह कहते है। '' विराम चिन्हो में अब तक अनेक चिन्ह सम्मिलित कर लिए गए है। यद्यपि सभी का काम रूकने का संकेत देना नहीं है तथापि विराम चिन्हो के अंतर्गत परंपरा से प्रयोग होते रहने के कारण इन्हे भी विराम चिन्हो के रूप ही जाना जाता है।
अर्थ के स्पष्टीकरण में विराम चिन्ह की कितनी उपयोगिता है। यह निम्नलिखित उदहारण से स्पष्ट हो जाता है। राधा गई। यह एक सामान्य वाक्य है किन्तु विराम चिन्ह लगाने के बाद यह 'प्रश्नवाचक' और आश्चर्यबोधक भावो का अलग-अलग बोध कराता है -
(१) राधा घर गई। (सामान्य)
(२) राधा घर गई ? (प्रश्नवाचक)
(३) राधा घर गई ! (विस्मयादिबोधक)
विराम चिन्ह किसे कहते हैं
इसके अतिरिक्त विराम चिन्हो के प्रयोग से उच्चारण और वाचन की गति सुविधा रहती है।
हिंदी में विराम चिन्ह रूप में निम्नलिखित चिन्हो का प्रयोग होता है -
(१) पूर्ण विराम (। )
(२) अर्ध विराम (;)
(३) अल्प विराम (,)
(४) योगक चिन्ह (-)
(५) प्रश्नवाचक (?)
(६) विस्मयसूचक चिन्ह (!)
इसके अतिरिक्त भी कुछ चिन्ह विराम चिन्ह के अंतर्गत गिनाए जाते है। शुद्ध लेखन और पठन की दृस्टि से इनकी उपयोगिता सयंसिद्ध है -
(१) विवरण चिन्ह :-)
(२) उद्धरण चिन्ह (' ')
(३) कोष्ठक चिन्ह ( ), _____
(४) संक्षेपसूचक चिन्ह (.)
(५) बिंदु रेखा (--------------)
(६) निर्देश चिन्ह (__)
विराम चिन्ह किसे कहते हैं
(१) पूर्ण विराम
पूर्ण विराम का अर्थ है ,पूरी तरह रूकना या ठहरना। सामान्यता पढ़ते समय जहाँ वाक्य की गति समाप्त हो जाए , वहां पूर्ण विराम का प्रयोग होता है। वाक्य छोटा हो या बढ़ा - प्रत्येक वाक्य की समाप्ति पर पूर्ण विराम लगाया जाना चाहिए , जैसे -वह घर गया गया, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
कभी-कभी किसी व्यक्ति या वास्तु का सजीव वर्णन करते समय वाक्यांशों के अंत में पूर्ण विराम लगाया जाता है , जैसे- गोरा रंग. गालो पर कश्मीरी सेब की सी सुर्खी। सिर के बाल न अधिक बड़े ,न अधिक छोटे। कानो बालो में कुछ सफेदी। पानीदार बड़ी-बड़ी आँखे , चौड़ा माथा।
यहाँ व्यक्ति की मुखमुद्रा का विविध वाक्यांशों में सजीव वर्णन किया गया है। अतः ऐसे स्थलों पर पूर्ण विराम का का उचित प्रयोग हुआ है।
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(२) अर्ध विराम
इसका प्रयोग प्रायः काम होता है क्योकि अर्धविराम की जगत अल्पविराम लगाकर काम चला लिया जाता है। अर्धविराम का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है-
(i) एक वाक्य यदि दूसरे सम्बन्ध हो और बात पूरी न हो तो पहले वाक्य के अंत में अर्धविराम लगता है। जैसे-मै आपका काम दूंगा ; आप निश्चित रहें।
(ii) एक ही वाक्य में उदाहरण स्वरुप कई पदबंध होने पर अर्धविराम का प्रयोग होता है, जैसे-कही तो विनाश, कहीं मिलान तो कहीं विछोह: कहीं उत्थान तो कहीं पतन: यहीं प्रकृति की गति है।
(iii) एक से अधिक उपाधि लिखने पर उनके बीच अर्धविराम का प्रयोग होता है, जैसे-एम्. ए., पी. एच. डी./एम्.बी.एस., एम्. डी.
(iv) कोश में एक शब्द के अलग-अलग अर्थ व्यक्त करने के लिए अर्धविराम का प्रयोग होता है।
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(३) अल्पविराम
हिंदी के विराम चिन्हो में अल्पविराम का प्रयोग सर्वाधिक होता है। 'अल्पविराम' का अर्थ है थोड़ी देर के लिए रूकना या ठहरना। लिखते -पड़ते समय अनेक ऐसी भाव दशांए आती है जब थोड़ी देर रूकना पड़ता है। अल्पविराम निम्नलिखित परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है -
(i) वाक्य में जब दो से अधिक पदों,पद्यांशों अथवा वाक्यों में जहाँ और का प्रयोग किया जा सकता हो ,अल्प विराम का प्रयोग होता है।
(ii) वाक्य में जब दो से अधिक पदों,पद्यांशों अथवा वाक्यों में जहाँ और का प्रयोग किया जा सकता है , अल्पविराम का प्रयोग होता है, जैसे- भारत में हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाई सभी को समान अधिकार प्राप्त है।
आत्मा,अजर,अमर और अविनाशी है। वह रोज आता है , काम करता है और चला जाता है,
अंग्रेजी के प्रभाव के कारण अब 'और' के पहले भी अल्पविराम का प्रयोग होने लगा है जो हिंदी की प्रकृति के अनुकूल नहीं कहा जा सकता।
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(iii) भावावेश में जहाँ शब्दों भी पुनरावृत्ति होती है, वहां अल्पविराम का प्रयोग होता है। जैसे-
नहीं, नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता।
देखो, देखो, पिताजी घर लौट आए।
(iv) यदि वाक्य में कोई अन्तर्वती वाक्य खंड आ जाय तब अल्पविराम का प्रयोग होता है, जैसे-
आलस्य चाहें जिस रूप में हो, व्यक्ति को दरिद्र बनाता है।
क्रोध चाहें जैसे भी हो, मनुष्य को दुर्बल बनाता है।
(v) यदि वाक्यों के बीच में पर, इसीसे,इसलिए,किन्तु,परन्तु,अतः,क्योकि जिससे तथापि आदि अवयवों का प्रयोग होता है। वहां अल्पविराम लगाया जा सकता है, उदहारण देखे-
वह निर्धन है,किन्तु बेईमान नहीं।
मैं अव्यवसायी हूँ , इसलिए सफल होता है।
ऐसा कोई काम न करो , जिससे अपयश मिले।
वह वापस आ गया , क्योकि बाजार बंद था।
(iv) वस्तुतः अच्छा,बस,हाँ,नहीं,सचमुच,अंततः आदि से प्रारम्भ होने वाले वाक्यों में , इन शब्दों के बाद अल्पविराम लगता है , जैसे-
अच्छा,कब मिलेंगे।
नहीं, मै वहाँ नहीं जाऊंगा।
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(४) योजक चिन्ह -
योजक चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित अवसरों पर जाता है -
(i) द्वन्द समास से बने पदों में-
राम-श्याम, देश-विदेशी
(ii) समान अर्थ वाले युग्म शब्दों में-
रुपये-पैसा, मान -मर्यादा
(iii) विलोम शब्दों के बीच -
अमीर-गरीब,ऊँच -नीच
(iv) एक शब्द की पुनरावृति में-
घर-घर, अच्छा-अच्छा
(v) निश्चित तथा अनिश्चित संख्यावाचक शब्दों में -
तीन-चार ,कम -से -कम
(vi) दो शब्दों के बीच का, की के लुप्त होने पर-
लेखन -कला , जन्म -भूमि , शब्द -सागर ,राम -लीला
(vii) शब्दों के बीच ही, से,का,न, का प्रयोग होने पर -
किसी-न-किसी, ज्यों-का-त्यों, आप-ही-आप, बहुत-सा
(viii) दो क्रियाओ के एक साथ प्रयुक्त होने पर -
कहना-सुनना , खाना-पीना
(ix) मूल क्रिया साथ प्रयुक्त प्रेरणार्थक क्रिया के बीच-
सीखना-सीखाना,पीना-पीलाना
(x) दो विशेषण पदों का संज्ञा के अर्थ में प्रयोग होने पर -
भूखा-प्यासा, अँधा-बहरा
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(५) प्रश्न -चिन्ह-
प्रश्नवाचक वाक्यों अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग य होकर प्रश्नवाचक चिन्ह (?) लगाया जाता है, जैसे- तुम कहाँ जा रही हो ? तुम्हारा क्या नाम है ?
इसके अतिरिक्त अनिश्चय भाव वाले वाक्यों तथा व्यंग्योक्तियो में भी प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया जाता है, जैसे- आप शायद दिल्ली जा रहे है? , भ्रष्टाचार आजकल का शिस्टाचार है, है न ?
(६) विषमयादिबोधक चिन्ह -
हर्ष, विषाद , विषमय, घृणा, आश्चर्य, करुणा, भय आदि भावो को व्यक्त करने वाले वाक्यों में विस्मयादिबोधक चिन्ह प्रयोग किया जाता है, इसके साथ ही शुभकामनाए देने तथा व्यंगपूर्ण वाक्यों भी उसका प्रयोग होता है, जैसे-
वाह ! कितनी सुन्दर है यह लड़की !
भगवान् तुमको दीर्घ आयु दे !
उफ ! वह इतनी गंदे हो !
छीः छीः ! तुम इतने गंदे हो !
कभी-कभी एक से अधिक विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग भी एक साथ किया जाता है-
राजीव गाँधी का निधन ! शोक !! महाशोक !!!
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अन्य चिन्ह-
कुछ अन्य चिन्हो को भी विराम चिन्ह के अंतर्गत रखा जाता है। डॉ भोलानाथ तिवारी ने ऐसे चिन्हो सन्दर्भ में लिखा है, '' यद्यपि वास्तविक रूप में इन्हे विराम चिन्ह य कहकर ' चिन्ह ' कहना अधिक उपयुक्त होगा , यों शुद्ध लेखन और पठन की दृस्टि से इनकी भी जानकारी अपेक्षित है। "
इस प्रकार के चिन्ह निम्नलिखित है-
(१) विवरण चिन्ह-
किसी विषय को विस्तार से समझाने अथवा तथ्यों विवरण देने के लिए संकेत रूप विवरण चिन्ह ( : या :-) का प्रयोग होता है, जैसे-
(१) आज की बैठक में विचारणीय तथ्य है :
(क) पुलिस में बढ़ता भ्रस्टाचार।
(ख) पुलिस में राजनीतिक हस्तक्षेप।
(२ ) बीस सत्रीय कार्यक्रम इस प्रकार है :-
(क )----------------------------
(ख )----------------------------
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(२) उद्धरण चिन्ह -
यह दो प्रकार के होते है- इकहरा (' ' ) तथा दोहरा (' ') जब किसी विशेष पद , शब्द वाक्य को उद्धरण के रूप में लिखा जाता है , तब इकहरे उद्धरण चिन्ह का प्रयोग होता है। जहाँ किसी पुस्तक कोई वाक्य या अवतरण ज्यों का त्यों उद्धृत किया जाता है वहाँ दुहरे उद्धरण का प्रयोग किया जाता है। पुस्तक,समाचार-पत्र, लेखक का उपनाम , कविता, का शीर्षक आदि लिखते समय इकहरे उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, जैसे-'रामचरितमानस' तुलसीदास की सर्वश्रेष्ठ कृति है। 'हिंदुस्तान' हिंदी का एक प्रमुख दैनिक पत्र है। अज्ञे हिंदी श्रेष्ट कवि थे। तिलक ने कहा था- " स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। "
(३) कोष्ठक चिन्ह -
लेखन में सामान्यतः ( ) कोष्ठक का ही प्रयोग होता है। कोष्ठक के अन्य चिन्हो प्रयोग गड़ित में किया जाता है।
वाक्य में प्रयुक्त किसी शब्द या वाक्यांश को स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिन्ह का प्रयोग होता है , जैसे-
अनेक भारतवासी बापू (महात्मा गाँधी) के अनन्य भक्त है।
गेट (जर्मनी का एक प्रसिद्ध कवि ) के कथन अत्यंत प्रेरणाप्रद है।
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(४) संक्षेपसूचक शब्द-
किसी शब्द या पद संक्षिप्त रूप बाद इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे-कृ. पृ. उ. (कृपया पृष्ट उलटिये). बी० ए ० (बैचलर ऑफ आर्ट्स ), डॉ० ( डॉक्टर ), डी ० लि ० ट ० (डाक्टर ऑफ लैटर्स/लिटरेचर)
(५) बिंदु रेखा-
वाक्य में लुप्त,अज्ञात या लिखे जाने योग्य अंशो को सूचित करने लिए बिंदु रेखा (-------) का प्रयोग किया जाता, जैसे-
(६) निर्देश चिन्ह-
निर्देश चिन्ह (-) का प्रयोग निम्नलिखित रूप में होता है-
जैसे- इंग्लैंड ,अमेरिका,रूस, भारत आदि।
बड़े आदमियों-महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस की चिंतन पद्दतियाँ प्रायः समान थी।
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