![]() |
thought |
सोच
(i)
कुछ विशेष दिन है आज आपका।
शमा करना वक्त नहीं था, निकालके आया
क्योकि आप कागजो के कहानियो अच्छे लगते हो
मेरे व्यस्तता के जीवन में क्यों हमारा समय खराब करते हो
चढ़ा दिये जायेंगे फूल माला आपके फोटो में
फिर रख दिया जायेगा टंगे दीवारों पे,या किसी कोने में।
(II)
जेल गए , पिटाई खाई, इधर भागे,उधर भागे
ना जाने कहा-कहा छुपते रहे,
संकटो का सामना करते रहे
क्यों किया था आज लोग सब पागल कहते है।
(iii)
पढ़ता, सुनता हूँ एक पुकार से
सूद,बुध खो सब खींचे चले आते थे
पर आज बात कुछ और है
इन कार्यक्रमों में हम झुण्ड के झुण्ड
डिस्को डांसर देखने आते है।
(iv)
रहने देते कुछ वर्षो तक उन दरिंदो के हाथो में
तब समज में आता ये व्यंग्य कसने वालो
गुलामी के व्यथा को।
(v)
देखके , सुनके कानो से
निकाल न देना यादो से
आओ आज सपथ ले
अपनों के हित में
केवल याद न रखे उन्हें
कागज के कहानियो में
वल्कि अर्पित करे हम
श्रद्धा सुमन ,नमन अपने- अपने हृदय के निलय से।
रचनाकार आपका अपना - श्री प्रभाष कुमार सरदार
4 टिप्पणियाँ
Nic
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंSuper
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंplease do not enter any spam link in the comment box